Success Stories of Indian Entrepreneurs in Hindi
राजीव कुमार रामजस कॉलेज से ग्रेजुएट करने के बाद अपनी पुस्तेनी कारोबार में लग गए। राजीव के पुरखे हरियाणा के करनाल से दिल्ली आये थे। इनका दिल्ली के चांदनी चौक में एक दुकान था। इनका पुश्तैनी कारोबार सुगंधित तम्बाकू और इत्र का था। यह कारोबार लाला धर्मपाल जी ने शुरू किया था। लाला धर्मपाल जी के बेटे सत्यपाल जी ने कारोबार को समय के अनुरूप आधुनिक तरीके से बाज़ार के अनुसार काम करना शुरू किया। रजनीगंधा जैसे प्रोडक्ट उन्होंने ही बाज़ार में उतारा था। आज डीएस ग्रुप तम्बाकू और पान मशाला के आलावा कैच किचन रेंज, बेवरेजेज की रेंज के साथ कन्फेक्शनरी, डियोडोरेंट और दूध के प्रोडक्ट भी बनाती हैं। डीएस ग्रुप आज 8,000 करोड़ की कम्पनी हैं। इनका मनु महारानी नाम के रेस्तरां भी हैं।राजीव कुमार बाताते हैं की बटवारे के बाद देश में लोग ज्यादा यात्रा करने लगे। और पान खाने के सोकीन लोगो को पान लेकर चलना मुमकिन नहीं था। इसलिए कुछ ऐसा चाहिए था जो पान की जरुरत को पूरा कर सके इसी जरुरत को पूरा करने के लिए कानपूर में पान मशाला बनाने का उधोग की शुरुआत हुई। राजीव बताते हैं की हमने भी 1976 में तानसेन नाम से एक पान मशाला बाज़ार में उतरा था। इसका टेस्ट कुछ अलग था। यह पान मशाला ज्यादा लोगों को पसंद नहीं आता था। वह ज्यादा कामयाब प्रोडक्ट साबित नहीं हुआ। तब हमने कई फोर्मुले बनाये लोगो को चखाकर उनकी राय जानी और उनके दुवारा दिए गए सुझाव को नोट किया। तब जाकर 1983 में रजनीगंधा का जन्म हुआ। राजीव बताते हैं की पापा को फूलों और उनकी खुशबु की बहुत गहरी समझ थी। इस लिए रजनीगंधा फूल के नाम पर अपनी पान मशाला का नाम रखा।
राजीव बहुत ही गर्व से कहते हैं की उनके कारोबारी प्रतिद्वंदी खुद खाते हैं और इसे कबूल करते हैं। राजीव बताते हैं की उत्पादों को बेहतर बनाने के लिए काफी रिसर्च होता हैं। अभी कई नई प्रोडक्ट पर काम चल रहा हैं उम्मीद हैं की कम्पनी का कुछ नई प्रोडक्ट इस साल बाज़ार में उतार दिया जाए।
कम्पनी ने 1979 में तुलसी जर्दा बाज़ार में उतारा। 1985 में जर्मनी से मशीन लाई गई और आधा ग्राम का पैक निकला। 1987 में रजनीगंधा का छोटा पैक बाज़ार में उतरा। उसके बाद डबल मजा नाम से एक प्रोडक्ट बाजार में उतारा। तुलसी का डबल जीरो से पांच जीरो तक वेरियंट हैं जो क्वालिटी के हिसाब से बढ़ते हैं। लेकिन सबसे जयादा मांग डबल जीरो की हैं।
1999 में कम्पनी बच्चो और महिलाओ के लिए बिना सुपारी वाला माउथ फ्रेशनर बाज़ार में लाना चाहती थी। लेकिन सोंच यह भी थी की उसमे सुपारी वाला करारापन भी हो तो हम ने ‘पास – पास’ नाम से एक प्रोडक्ट बाज़ार में उतारा इसमें सौंफ, इलाइची, ब्राह्मी, के साथ खजूर जैसे नेचुरल स्वीटनर से तैयार किया गया हैं। इस प्रोडक्ट के सौ से ज्यदा नक़ल बाज़ार में उपलब्ध हैं लेकिन क्वालिटी के दम पर आज भी हमारा प्रोडक्ट बेजोड़ हैं हमारे प्रोडक्ट को इस्तमाल करने वालों को दुसरे प्रोडक्ट से संतुष्टि नहीं मिलती।
राजीव कहते हैं की हम सब कुछ पैसे के लिए नहीं करते हैं। हमने 8 मार्च को पापा के नाम पर कॉर्पोरेट म्युजियम शुरू किया यह हमारे लिए काफी ख़ुशी का पल था।
डीएस ग्रुप का फोकस कभी भी नर्यात की तरफ नहीं रहा हैं। राजीव कहते हैं की भारत में ही हमारे लिए बहुत बड़ा कन्जूमर बेस मौजूद हैं। लेकिन अब हम नर्यात पर भी ध्यान दे रहे हैं। डीएस ग्रुप का कामयाबी का राज हैं की कम्पनी को उपभोक्ता की नब्ज पकड़ने की काबिलियत हैं।
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